नीमच।।महेंद्र उपाध्याय। नगर पालिका परिषद नीमच की हालिया विशेष सम्मेलन बैठक दिनांक 30 जुलाई 2025 में लिये गये विवादित बिंदु क्रमांक 17 व 18 पर अब विरोध के स्वर तेज हो गए है।शिकायत कर्ता ने आरोप लगाया है कि परिषद ने जनहित के नाम पर नियमों को ताक पर रखकर अचल संपत्ति अंतरण नियम व भूमि विकास नियमों के विरुद्ध प्रस्तावों को पास कराया है। अब इस निर्णय के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग जोर पकड़ रही है।शिकायतकर्ता द्वारा कलेक्टर नीमच, सीएमओ व डुडा अधिकारी को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि नगर पालिका द्वारा ‘जनहित’ की आड़ में आवासीय उपयोग की भूमि को व्यवसायिक उपयोग में लाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए परिषद में बिना विभागीय टिप्पणियों व आवेदकों की वास्तविक जानकारी साझा किए प्रस्तावों को बहुमत से पास कराया गया। साथ ही पीठासीन अधिकारी द्वारा पार्षदों की फाइलों को पढ़ने की मांग को भी नजरअंदाज किया गया।शिकायत में यह भी उल्लेख है कि परिषद सदस्यों द्वारा लिखित आपत्तियों के बावजूद संबंधित फाइलें अवलोकनार्थ नहीं रखी गईं और सीएमओ की सलाह के विपरीत बहुमत प्रक्रिया को अपनाया गया। इस पूरे घटनाक्रम को पारदर्शिता व विधिक प्रक्रिया की घोर अनदेखी कर भ्रष्टाचार का उदाहरण बताया गया है।इस विषय में कार्यालय उप संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश, नीमच द्वारा भी 31 दिसंबर 2024 को नगर पालिका को भेजे गए पत्र का उल्लेख किया गया है, जिसमें स्पष्ट किया गया कि नीमच विकास योजना 2035 के अनुसार टीवीएस शोरूम चौराहा से ग्वालटोली तक का क्षेत्र “आवासीय उपयोग” हेतु निर्धारित है। इस योजना के तहत केवल 12 मीटर या अधिक चौड़ाई वाली सड़कों पर ही वाणिज्यिक गतिविधियों को अनुमति दी जा सकती है।उक्त तथ्यों के आधार पर शिकायतकर्ता ने कलेक्टर से मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होने तक नगर पालिका परिषद नीमच को सभी संबंधित कार्यवाहियों पर रोक लगाने के निर्देश दिए जाएं। साथ ही यह चेतावनी भी दी गई है कि यदि समय रहते निर्णयों को रोका नहीं गया तो इससे नगर पालिका को आर्थिक क्षति के साथ शहर में कानून व्यवस्था की स्थिति भी बिगड़ सकती है।इस प्रकरण की प्रतिलिपि लोकायुक्त उज्जैन एवं मुख्यमंत्री कार्यालय भोपाल को भी भेजी गई है। अब देखना यह होगा कि शासन-प्रशासन इस गंभीर शिकायत पर क्या रुख अपनाता है।