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जिले के एक गाँव मे अन्तिमयात्रा की डगर मुश्किलों भरी,फिसलन ओर कीचड़ के साथ बरसाती नाले से गुजरती है शव यात्रा

Mahendra Upadhyay
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नीमच।महेन्द्र उपाध्याय।आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद जिले के कई गाँव ऐसे है जहां आज भी विकास कार्य नही हुवे है और नाही मार्ग सुगम हो पाए है यही नही अंतिम यात्रा के लिए श्मशान तक जाने वाले मार्ग भी कीचड़ व फिसलन भरे है और ग्रामीणों को बहते नालों के बीच शव यात्रा लेजाने को मजबूर होना पड़ता है ग्रामीणों को दुर्गम रास्तों से होकर गुजरना पड़ रहा है। हद तो तब हो जाती है जब मौत के बाद भी अंतिम यात्रा का रास्ता कीचड़ ओर बरसाती नालों से भरा हो और जान जोखिम में डालकर गुजरना पड़ता हो।ऐसा ही एक मामला नीमच जिले के रामपुरा तहसील अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत लसूडिया ईस्तमुरार के गांव बड़ोदिया बुजुर्ग का है जहां दशकों बीत जाने पर भी ग्रामीणों को शवयात्रा कीचड़ भरे दुर्गम मार्ग से बरसाती नाले के बहते पानी से होकर निकालना पड़ रही है। जिसमें किसी के गिरने फिसलने तो किसके चोटिल होने का खतरा बना रहता है।अधिक बरसात में नाले में यदि तेज बहाव हो तो उसे पार करना खतरे से खाली नही रहता, ऐसे में अंतिम संस्कार के लिए घण्टो इंतजार करना पड़ता है।उक्त मामले से जुड़ा एक वीडियो रविवार को सामने आया है।जानकारी के अनुसार उक्त गांव में किशन लाल पिता
नानूराम गुर्जर निवासी ग्राम बड़ोदिया उम्र करीब 80 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई थी मौत दोपहर करीब 2:00 बजे के आसपास हुई थी। इसी दौरान तेज बारिश आने लगीं, जिसके चलते बुजुर्ग के अंतिम संस्कार को करीब 2 से 3 घंटे तक रोकना पड़ा,जिसके पीछे कारण यह था कि शमशान के रास्ते मे पड़ने वाले बरसाती नाले में पानी बह रहा था।जब पानी उतरा तब शवयात्रा निकाली गई।उस पर भी मार्ग में कीचड़ और फिसलन के कारण शवयात्रा ले जाने में काफी परेशानी का सामना ग्रामीणों को करना पड़ा।करीब 600 से अधिक लोगों की आबादी वाले इस गांव में रास्ते के अलावा भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। कई काम तो ग्रामीण जन सहयोग से ही कर लेते हैं। लेकिन हर कार्य कराना ग्रामीण के बस में नहीं।ऐसा यह पहली बार नहीं हुवा है।हर साल बारिश में ग्रामीण इसी तरह शवयात्रा लेजाने को परेशान होते है।ग्रामीण बताते है कि करीब 10 वर्ष पहले एक बालक की मौत हो गई थी। तब दो दिन तक लगातार तेज बारिश होने के कारण नाला 2 दिन तक उफान पर रहा था। जिसके चलते ग्रामीणो को निजी भूमि पर ही अंतिम संस्कार करना पड़ा।ग्रामीणों ने बताया की बरसों से वे लोग जनप्रतिनिधियो और अधिकारियों को अवगत करवाते आरहे हैं,लेकिन आज तक उक्त समस्या का निराकरण नही हो पाया है और श्मशान जाने के रास्ते के हालात आज तक नहीं सुधर पाए है विकास की दौड़ में आज भी उनका गांव पिछड़ा हुआ है। ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं।ग्रामीणों का कहना है कि वर्तमान विधायक माधव मारू ने अपने पिछले कार्यकाल में ग्रामीणों को रास्ता दुरुस्त करने या फिर शमशान कहीं ओर अन्य स्थान पर स्थान्तरित करने की बात कही थी।मगर अब तक कोई निराकरण नही हुवा।ग्रामीणों ने प्रशासन के जिम्मेदारों से गुहार लगाई है कि वे ग्रामीणों की इस समस्या की ओर ध्यान दें। खास तौर से शमशान जाने वाले मार्ग की सुध ले उसे दुरुस्त करवाये। या फिर अंतिम संस्कार हेतु श्मशान अन्य स्थान परउपलब्ध करवाए।ग्रामीण देवीलाल गुर्जर ने बताया कि उक्त समस्या से गत वर्ष भी वर्तमान विधायक माधव मारू को अवगत कराया गया था।उन्होंने आश्वासन दिया था की रास्ता दुरुस्त करेंगे या श्मशान कहीं और शिफ्ट कर देंगे।मगर अब तक कुछ नहीं हुआ। सालों से ग्रामीणों को केवल आश्वासन दिया जा रहा है। हमारे गांव की अनदेखी की जा रही है।

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